What is pH? क्या है pH? क्या है pH और क्यों है इसका संतुलन अति आवश्यक?
मानव शरीर अरबों कोशिकाओं (सेल्स) से बनी एक जटिल संरचना है। इन कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए एवं सुचारु रूप से कार्य करने के लिए अम्ल (एसिड) एवं क्षार (ऐल्कली) का एक उचित संतुलन बनाए रखना बहुतआवयशक है । यह संतुलन आम तौर पर PH संतुलन के नाम से जाना जाता है । एक उचित PH संतुलन सभी रोगों के खिलाफ मज़बूत रक्षा कवच के रूप में कार्य करता है । आधुनिक चिकित्सा विज्ञान कीसबसे महवतपूर्ण खोजों में से एक यह है कि यदि शरीर एक उचित क्षारीय (एल्कलाइन) अवस्था बनाएरखता है तो कोई भी बिमारी कभी मानव शरीर को प्रभावित नहीं कर सकती । यही खोज संभावित इस संतुलन को सबसे महवतपूर्ण संतुलन के रूप में दर्शाती है तथा हमें इसकी विशेष रूप से देखभाल करनी चाहिए ।
pH is a figure expressing the acidity or alkalinity of a solution on a logarithmic scale on which 7 is neutral, lower values are more acid and higher values more alkaline. The pH is equal to −log10 c, where c is the hydrogen ion concentration in moles per litre.
जटिल से जटिल अथवा सबसे सरल बीमारियां जैसे कि फ्लू का कीटाणुओं से कोई सम्बन्ध नहीं है । इनसबका कारण है एसिड । शरीर स्वाभाविक रूप से ही बुखार उत्पन्न करने के लिए प्रोग्राम्ड है ताकि वह त्वचा के छिद्रों को खोलकर शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकाल सकें । यह माना जाता है कि यदि शरीर एल्कलाइन अवस्था में लगातार रहने में सक्षम होता है, तो मनुष्य को कभी सर्दी या फ्लू नहीं होता । सरल शब्दों में,यदि आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो अपने शरीर को शुद्ध एवं एल्कलाइन रखिये ।
यदपि शरीर अपने आप ही PH को समायोजित करने के लिए प्रोग्राम्ड हैं, वह अन्य महवतपूर्ण अंगों की कीमत पर ऐसा करता है जिससे की गंभीर स्वास्थ्य असंतुलन पैदा हो सकता है ।
तो असल में क्या है PH एवं क्यों है इसको संतुलित रखना इतना आवयशक ?
PH अर्थात ‘ पोटेंशियल हाइड्रोजन ’ या ‘ हाइड्रोजन की क्षमता ‘ । यह एक विशेष सोलुशन (खून की तरह ) में हाइड्रोजन आयोन्स की राशि को कहा जाता है । PH को 0 से 14 तक के पैमाने पर मापा जाता है जिसमें कि 7 का PH तठस्त (न्यूट्रल) माना जाता है । यह PH अंक जितना कम होगा, शरीर उतना ही एसिडिक होगा । इसके विपरीत, PH अंक जितना अधिक होगा , शरीर उतना ही एल्कलाइन होगा । उदहारण के तौर पर, 3 का PH 5 के PH से ज़्यादा एसिडिक है एवं 9 का PH 6 के PH से ज़्यादा एल्कलाइन होगा । एक एसिडिक स्थिति सेलुलर स्तर पर ऑक्सीजन की कमी का कारण बनती है । जब PH का स्तर 7.4 से नीचे गिर जाता है तो शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है । रक्त सबसे ज़्यादा ऑक्सीजन का संचार 7.4 के PH(एल्कलाइन) पर करता है । पर्याप्त ऑक्सीजन की कमी से बैक्टीरिया ,वायरस एवं फफूंद का प्रकोप बढ़ जाता है ।
मनुष्य रूप में शरीर के सभी टिश्यू एवं तरल पदार्थों (पेट को छोड़कर) का सामान्य PH थोड़ा एल्कलाइन ही होता है । सबसे महवतपूर्ण PH रक्त में होता है । अन्य सभी अंग एवं तरल पदार्थ रक्त के PH को सख्त रूप से 7.35-7.45 (थोड़ा एल्कलाइन) की सीमा में रखने के लिए उतार-चढ़ाव करते रहते हैं । इस प्रक्रिया को होमेओ-स्टेसेस कहा जाता है । शरीर रक्त में इस बहुत ही संकीर्ण PH सीमा को बनाए रखने के लिए टिश्यू एवं तरल पदार्थों में निरन्तर समायोजन करता रहता है ।
क्या है pH?
क्या है pH और क्यों है इसका संतुलन अति आवश्यक?
What is pH? क्या है pH?
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दुनिया भर के डॉक्टरों का यह मानना है कि बीमारियां केवल एक एसिडिक शरीर में ही विकसित होतीहैं । एक एसिडिक शरीर बैक्टीरिया ,खमीर ( यीस्ट),फफूंद,वायरस तथा अन्य कई अवांछित जीवों के विकास के लिए एक आदर्श वातावरण तैयार करता है । कैंसर जैसी भयानक बीमारियां सदैव उन्ही शरीरों परप्रहार करती है जो कि ज़्यादा एसिडिक होते हैं । जैसे -जैसे शरीर अधिक एसिडिक हो जाता है ,शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होने लगती है । इस कमी को पूरा करने के लिए शरीर हड्डियों, दांतों एवं टिश्यू से कैल्शियम को खींचने लगता है । इसका पहला प्रमाण होता है शरीर में कैल्शियम का जमना जो पोषक कैल्शियम तत्वों से नहीं बल्कि दांतों व हड्डियों के कैल्शियम से आता है ।
अधिक एसिडिक होने के जोखिम
शरीर के अधिक एसिडिक (या अधिक एल्कलाइन)होने के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं Iउदहारण के लिए यदि रक्त अधिक एसिडिक हो जाये तो:
- वह आँतों के एन्ज़ाइम से कुछ एल्कलाइन बनाने वाले तत्वों को लेता है जिसकी वहज से आंतें ज़्यादा एसिडिक हो जाती हैं एवं भोजन को पर्याप्त रूप से नहीं पचा पाती । खाद्य पदार्थों को भली-भाँती मेटाबोलाइज करने के लिए पैंक्रियास ,गॉल-ब्लैडर एवं लिवर को इस कमी को पूरा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके परिणामवश कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता, थकान, हार्मोनल असंतुलन तथा पाचन की समस्यायें उत्पन्न हो जाती हैं ।
- हड्डियों से कैल्शियम,जोकि सबसे एल्कलाइन खनिज है, कम होने लगता है। यह खनिजों के कमअवशोषण (मिनरल्स केअब्सोरप्शन) एवं अस्थि घनत्व (बोन डेंसिटी) जैसी समस्यों का कारण बन जाता है ।
- इन्सुलिन का स्तर बढ़ जाता है तथा इसकी वजह से फैट मेटाबोलाइज होने की जगह संग्रहित हो जाता है । जब कुपोषण या भुखमरी शुरू होती है, तब शरीर एसिडिक बन जाता है और एक सुरक्षा के रूप में इन्सुलिन का उत्पादन बहुत बढ़ जाता है जिससे कि सभी उपलब्ध कैलोरीज भविष्य में उपयोग के लिए फैट के रूप में जमा हो जाती हैं । इसके कारणवश वज़न का बढ़ना शुरू हो जाता है एवं वज़न कम करना बहुत ही कठिन ।
- किडन ,गॉल-ब्लैडर,पैंक्रियास एवं अन्य सभी अंगों पर अधिक तनाव पड़ता है ।
शरीर के एसिडिक होने केआम लक्षण
आम लक्षणों में शामिल है हृदय में जलन, एसिड-रिफ्लक्स, अपच, वज़न बढ़ना व उसे कम करने में कठिनाई, खराब मेटाबालिस्म ,खनिजों कि कमी, कब्ज़, थकान, मस्तिष्क से सम्बंधित समस्याएं, अक्सर पेशाब जाना, हार्मोनल असंतुलन, मांसपेशियों में खिचाव ।
एसिडिक वातावरण के कारण
क्रोध,घृणा,उदासी, निराशा व अकेलापन जैसी भावनायें शरीर की रासायनिक संरचना को एसिडिक बना देती हैं।अन्य कारणहैं तनाव, पर्यावरण-प्रदूषण, अपर्याप्त अथवा अत्यधिक व्यायाम तथा सबसे महवतपूर्ण कारण है अनुचित आहार। जितना अधिक एसिड बनाने वाले भोजन हम खाते हैं ,उतना ही शरीर एसिडिक हो जाता है।
कैसे जानें कि आपका शरीर एसिडिक हैं अथवा नहीं ?
हम एक उचित PH बनाए हुए हैं या नहीं, इसको निर्धारित करने का सबसे अच्छा तरीका हैं मूत्र-परिक्षण। यह सबसे उपयुक्त है क्योंकि शरीर को संतुलन बनाए रखने का सबसे कुशल तरीका है गुर्दों का उपयोग । यदि हमारा शरीर ज़्यादा एसिडिक हो जाता है तो हमारे गुर्दे मूत्र के माध्यम से एसिड को निकाल देते हैं। इससे रक्त को अधिक एल्कलाइन बनाए रखने में मदद मिलती है। इसिलए मूत्र यह निर्धारित करने का उत्कृष्ट सूचक है कि हमारा आहारअधिक एसिडिक है या अधिक एल्कलाइन ।
इष्टतम यूरिन PH पैमाने पर 6 और 7 के बीच होता है । यदि आपकी औसत 6 से नीचे है तो आप अधिक एसिडिक हैं तथा यदि आपकी औसत 7 से अधिक है तो आप अधिक एल्कलाइन हैं । दोनों ही स्थितिओं में आपको एक उचित PH संतुलन बनाए रखने के लिए तुरंत अपनी जीवन शैली में परिवर्तन लाने कि आव्यशकता है।
आहार और जीवन शैली में परिवर्तन से कर सकते हैं समस्या का समाधान
आहार ही शायद सबसे महवतपूर्ण परिवर्तन है। मांस,शराब, शीतल-पेय,कैफीन,कॉफी, बादाम,अंडे, सिरका , क्रीम का दूध,पनीर,सफ़ेद चीनी तथा एलोपैथिक दवाइयों के अधिक सेवन से बचें।
टिश्यू की एसिडिटी को समाप्त करने का अब तक का सबसे प्रभावी तरीका है शरीर में जलयोजन (हाइड्रेशन)को एल्कलाइन तरल पदार्थों (जैसे कि निम्बू पानी या उसका रस) के द्वारा बढ़ाना ताकि शरीर सदा अपनी प्राकृतिक एल्कलाइन स्थिति में रहे। पके हुए फल,सब्ज़ियाँ,सोया ,अंकुरित मूंग,पानी,कच्चा दूध,प्याज,गाजरएवं बीट को अपने आहार में जोड़े।
यथासम्भव चिंता को कम करना एवं व्यायाम को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करना भी बहुत ही लाभदायक होता है। उचित श्वास,योग एवं ध्यान सबसे महवतपूर्ण तरीके हैं एक उचित PH संतुलन बनाए रखने के लिए।
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